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18 March, 2023

Image Credit: Kelly Sikkema at Unsplash
काश कम ही फिल्में देखी होती बचपन में,
काश कुछ ही किताबें पढ़ी होती जवानी में!
न सुना होता रांझे का मरना, मजनू का पगलाना,
न ही किसी के आने पर बहारों फूल बरस आना!
कोई बता देता चांद तारे पेड़ पर नहीं लगते,
कोशिश करने से भी ये किसी की नहीं सुनते!
आंख न लगने को कोई इतना सुंदर न बताता,
बेचैनी और घबराहट के इतने गुण ना गाता!
न ही लाखों गाने बनते किसी के इंतजार के,
इंकार के, टक रार के, बेकरारी और इकरार के!
थोड़ा सा ही सही, कुछ सच तो बता दिया होता,
इंसानियत के नाते, थोड़ा तो समझा दिया होता!
अब की बार लात खाए, अब पक्का संभल जाएंगे,
और कुछ हो ना हो.........
अगली बार हम ही पहले ब्लॉक का बटन दबाएंगे !
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